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    इतिहास

    शहडोल जिला 14 नवंबर 1956 को नए राज्य मध्य प्रदेश के गठन के साथ अस्तित्व में आया। 1960 तक शहडोल जिले की अदालतें रीवा जिला न्यायाधीश के प्रशासनिक नियंत्रण में थीं। लेकिन 1960 से 13 नवंबर 1969 तक शहडोल जिले के न्यायालयों का प्रशासनिक नियंत्रण जिला न्यायाधीश, बिलासपुर के पास था जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में है।

    अप्रैल 1962 तक शहडोल जिला मुख्यालय पर कोई भी सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट का न्यायालय कार्यरत नहीं था। सिविल जज और न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की दो अदालतें बुढ़ार में काम कर रही थीं, जो कि जिला मुख्यालय शहडोल से 23 किलोमीटर की दूरी पद है।

    मई 1962 में सिविल जज वर्ग-2 और न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की एक अदालत को बुढ़ार से शहडोल स्थानांतरित कर दिया गया और इसके पहले पीठासीन अधिकारी श्री एस.के.पांडेय थे। 1962 में शहडोल में सिविल जज की अदालत के संचालन के लिए कोई न्यायालय भवन उपलब्ध नहीं था, जिसके कारण सिविल जज की अदालत ने जेल भवन के सामने स्थित जिला जेल शहडोल के चार कमरों में अपना कामकाज शुरू किया। जिला जेल भवन में अदालतें 13 नवंबर 1969 तक कार्य करती रहीं।

    वर्तमान जिला न्यायालय भवन शहडोल का निर्माण वर्ष 1967-68 में शुरू हुआ और यह वर्ष 1969 में पूरा हुआ। 18 नवंबर 1969 को वर्तमान जिला न्यायालय भवन का उद्घाटन तत्कालीन माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री पी.वी.दीक्षित द्वारा किया गया था।

    शहडोल न्यायिक जिला राजपत्र अधिसूचना क्रमांक 8113III-10-19-59 I दिनांक 15 अक्टूबर 1969 के तहत 14 नवंबर 1969 को अस्तित्व में आया जब इसके प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्री के.के.वर्मा ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश, शहडोल के रूप में पदभार संभाला। श्री के.के.वर्मा को बाद में म.प्र.उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।